द गर्ल इन रूम 105–४८
उनके पास वॉचमैन के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। वास्तव में, असिस्टेंट कमिश्रर का तो कहना है कि अब मीडिया को अपनी यह भूल मान लेनी चाहिए कि उसने दिल्ली पुलिस की क्षमताओं का ठीक आकलन नहीं किया था।'
'वेल, अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने के अलावा दिल्ली पुलिस क्या यह भी बता सकती है कि उसे इस बात पर भरोसा कैसे हो गया कि वॉचमैन ने ही कत्ल किया है?" अरिजीत ने कहा।
सीसीटीवी फुटेज बताते हैं कि वॉचमैन अपनी पोस्ट से चालीस मिनट तक गायब रहा था। लड़कियों के कमरे में ताक-झांक करने की उसकी आदत है। जारा ने उसके खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई थी। पुलिस का कहना है कि लक्ष्मण रेड्डी तेलंगाना के एक गांव का रहने वाला है, जो हैदराबाद से दो घंटे की दूरी पर है। कुछ दिनों पहले, जारा लोन के मंगेतर रघु वेंकटेश पर भी चंद गुंडों के द्वारा हमला किया गया था। रघु हैदराबाद में ही रहते हैं। इस घटना को भी लक्ष्मण से जोड़कर देखा जा रहा है। रघु को बहुत चोटें आई हैं और वारदात के समय वे
खुद अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती थे। बैक टू यू, अरिजीत " कैमरा अरिजीत के चेहरे की ओर घूमा, जो टीवी स्क्रीन पर एक बड़ी-सी खिड़की में दिखाई दे रहा था।
सात अन्य छोटी खिड़कियां थीं, जिनमें एक-एक कर पैनलिस्ट्स बैठे थे।
अरिजीत ने बहस की शुरुआत की "तो ये रही कहानी एक ऐसा आदमी, जो लड़कियों का पीछा करता है और उनके कमरे में ताक-झांक
करता है, उसे आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में वॉचमैन के रूप में काम करने दिया गया। आज हम इस बात पर बहस करेंगे कि क्या आईआईटी अधिकारियों को वॉचमैन के खिलाफ हफ्तों पहले दर्ज कराई गई शिकायत पर सुनवाई करनी चाहिए थी या नहीं? क्या आईआईटी ही जारा लोन की हत्या की जिम्मेदार नहीं है?" कुछ पैनलिस्ट्स ने फौरन बोलना शुरू कर दिया। वे एक-दूसरे की बात काट रहे थे। मुझे एक भी वाक्य
समझ नहीं आ रहा था, उल्टे इस शोरगुल से मेरे कान दुखने लगे थे। मैंने रिमोट उठाया और टीवी बंद कर दिया।
"अच्छा ही हुआ कि तुमने ये सब्जी मंडी वाली बहस को चुप कर दिया, किचन से मां की आवाज आई।
मैं कई घंटों तक बिस्तर में करवटें बदलता रहा, लेकिन मेरी आंखों में नींद नहीं थी। पिछली कई रातों की तरह मैं ना तो जारा के बारे में सोच रहा था और ना ही रो रहा था। आज मेरे दिमाग़ में कुछ और ही चल रहा था। क्या सचमुच ही लक्ष्मण रेड्डी ने जारा को मारा है? यह सवाल बार-बार मेरे दिमाग में गूंजता रहा। हां, उसके पास एक वजह हो सकती है। उसे सबके सामने धप्पड़ मारा गया था। उसके खिलाफ सबूत भी हो सकते हैं। यह भी सच है कि उस रात वह अपनी सीट से गायब था। लेकिन इसके बावजूद कहानी की कड़ियां जुड़ नहीं पा रही थीं। मैं ।
ठीक-ठीक तो बता नहीं सकता था, लेकिन मेरी छठी इंद्री मुझसे कुछ कह रही थी। कुछ तो कहीं पर ग़लत था। मैंने सौरभ को फोन लगाया
"सो रहे हो?' मैंने कहा।
"नहीं भाई, वीडियोज़ देख रहा हूं।" 'कौन-से वीडियो?' मैंने छेड़ते हुए कहा।
"चुप करो, भाई। यूट्यूब देख रहा हूँ। "
"हम्म, और चंदन क्लासेस कैसी चल रही हैं?" "पहले की ही तरह गुटखा चबाऊ तुम्हारे बारे में पूछ रहा
था।" "मैं कल लौट आऊंगा और जॉइन कर लूंगा।' आराम से आओ। मैं यहां संभाल लूंगा। तुम ठीक हो?" "ठीक होना तो अभी भी दूर की बात है। हां, आज मैं तीन घंटे से कम रोया, यानी हालत में सुधार आ रहा
धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा।' 'उम्मीद तो यही है। लेकिन मेरे दिमाग़ में कुछ और चल रहा है।'
*ERIT?'
"तुमने न्यूज देखी?"